Thursday, 26 September 2013

पितृछाया



जो आप साथ हैं मेरे तो,जहाँ ये सरा मेरा है,
जो आपकी थपकी सर हो तो,हर रात के बाद सवेरा है,
मेरे ड्गमग कदमों को,हर लम्हा जिसने थामा है,
पकड के जिसने हाथोँ को,जीवन भेद सिखाया है,
संकट की जिसने छाया को,दरवाजे पर ही रोक दिया,
कई बार  उठा कर खडा किया ,पर गिरने पर ना शोक किया,
मेरी दुख तकलीफोँ को ,मुझसे ज्यादा जो जीता है,
दर्द भरे तिनकोँ को जो, अपने  अश्कोँ से पीता हैँ,
अपना सब सुख खुशियाँ जिसने, जन्म पे मेरे वार दिया,
चाहे कुछ भी हालात रहे, मुझको हर तरह सवाँर दिया,
आपकी निर्मल छाँव तले,हर दर्द भुला मैँ बडी हुइ,
कब जाने छोड के  अंगुली  को, अपने पैरों पर खडी हुइ,
अब तक तो दर पे  आपके थी, अब जाने कहाँ बसेरा है,
सब कुछ जीवन मे आपसे है, ना पास मेरे कुछ मेरा है,
सब कुछ जीवन मे आपसे है, ना पास मेरे कुछ मेरा है,

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