Tuesday 30 January 2018

चाय

चलो आज चाय पर चलते है,
वैसे तो हम रोज़ ही मिलते है,
तुम रसोइ से कुछ कहती हो,और मैं टीव्ही देखते हुए बेसुध जवाब दे देता हूँ,
पर कभी हमने ठीक से बात नहीं की शायद,
फिर रात को बच्चों को सुलाते हुए उनके साथ ही सो जाती हो,
और मैं रिमोट के साथ सोफ़े पर,
एक चुप्पी सी हो गइ है जैसे,
इस ख़ामोशी को कुछ चुस्कियों से तोड़ने,
चलो आज चाय पर चलते है,

तुम्हारी आँखों की चमक भी कुछ कम सी हो गइ है,
और ज़िम्मेदारियों ने माथे पर लकीरें उकेर दी है,
भाग दौड़ में एसा खो सा गया हूँ की,बालों का सफ़ेद रंग कभी दे ही नहीं पाया,
तुम्हें ठीक से देखे हुए एक अरसा बीत गया,भूल ही गया की तुम कितनी ख़ूबसूरत हो,
तुम्हें देख कर जाने कब मुस्कुराया था,
पुरानी यादों में छिपी मीठी मुस्कान को धूँड़ने,
चलो आज चाय पर चलते है,

जीवन के कुछ पन्ने बिना जिये ही पलट गये हो जैसे
मानो आज अरसों बाद जागे हो,
कितनी अलग दिखती हो तुम,थोड़ी झुकी हुइ और कमज़ोर ,
तुम्हें देखा तो लगा ये तो वो नहीं जिसे मैं सजाकर घर लाया था,
बच्चों की किलकारियाँ भी ठीक से याद नहीं आती मुझे,
उन लम्हे को फिर से दोहराया तो नहीं जा सकता,
पर उन यादों को दिल में ताज़ा  करने,
चलो आज चाय पर चलते है,

तुम शायद मुझे माफ़ कर भी दो, पर मैं ख़ुद को दोशी मानता हूँ,
हर उस लम्हे के लिये, जब मैंने किसी और चीज़ को तुमसे अहम समझा,
हर उस आँसू के लिये जिन्हें मैं रोक सका,
उम्र के हर उस पड़ाव के लिए जो तुम्हें अकेले तय करने पड़े,
हर उस वक़्त के लिए जो तुमने मेरे इन्तज़ार में ज़ाया किया,
पर अब कुछ पल लिए सब कुछ भूल कर, जहाँ छूटा था वही से शुरू करते है,
एक दूसरे से फिर से मिलते है ,
चलो आज चाय पर चलते है,




~आरोही 

ख्वाब

ख़्वाब आज़ाद होते है,
ख़्वाबों को बाँध नहीं सकते,उन्हें आने से रोक नहीं सकते,
ख़्वाब भोले होते है,तो अपने हालात उनपर थोप नहीं सकते,
ख़्वाब दूर दिखती एक लौ की तरह होते है,जिसमें आप समझ नहीं पाते उसे पाने के लिये उठे या सोये ही रहे,
क्योंकि नींद में वो जादा साफ़ नज़र आते है,दूर ही सही पर पास नज़र आते है ,
और सुबह होते ही एक ख्वाब धुँधला सा जाता है,और कभी कभी तो उसका अस्तित्व तक मिट जाता है ,
ख्वाब हसीन होते है ,आँख मूँद कर कोइ एसा लम्हा जी लेना जिसकी बस उम्मीद ही हो,
हर ख़्वाहिश पूरी कर लेने का सुकून और हर हद तोड़ देने का जुनून ,
महज एक शब्द नहीं है,पूरे जीवन का रस होते है ख़्वाब ,
सच हो जाए तो बन जाती है ख़ुद के लिये मिसाल , और टूट जाये तो बेबस होते है ख़्वाब ,
ख़्वाब उस गाड़ी की तरह होते है,जिन पर सवार तो होना आसान है,
पर पहुचने में गर वक़्त लगे तो उतरने से डरते है,
कोइ और गाड़ी लेने से डरते है,नये और अंजान ख़्वाब देखने से डरते है, भले ही वो बहतर क्यों हो ,
क्योंकि तुम और सारे लोग तो इसी गाड़ी का इन्तज़ार कर रहे है,
तुम अब कोइ और ख़्वाब चुन नहीं सकते ,भले वो ख़्वाब तुम्हें चुनना चाहता हो
कोइ नई राह चुन नहीं सकते,नई चाह बुन नहीं सकते ,
भले वो राह तुम्हें चुनना चाहती हो,
क्योंकि शायद तुम्हें पता नहीं है पर तुम्हारा ख़्वाब अब तुम्हें छोड़ कर बाकी सब का सपना हो चुका है,
और तुम शायद उसे छोड़ भी सको ये धागा तोड़ भी सको पर अब वो औरों का अपना हो चुका है,
अब इस से भाग नहीं सकते, किसी के आँखों का ख़्वाब उजाड़ नहीं सकते,
इस टीस , इस कसक और झुँझलाहट को लिये,
फिर एक बार अपने अंदर की आवाज़ को दबा तुम ख़्वाब का बोझ उठाते हो,
गिरते ,डगमगाते,घिसटते हुए छोड़ते हुए अपना आक्रोश,
सबके ख़्वाबों के नीचे अपना ख़्वाब दबा कर चलते रहते हो चुपचाप और ख़ामोश,


~आरोही