Friday 7 June 2013

भ्रष्टाचार

भ्रष्ट आज देश में,भ्रष्ट लोग बाग हैं,
भ्रष्ट अन्न जल है और भ्रष्ट यहाँ आग है,
ऐक कण भी देश का ,स्वच्छ कहाँ शेष है,
चरित्रहीन ढोंगियों पे ,वर्दियों का वेष है,
हर क्रूर आज पल रहा, तप यहाँ त्याग है,
भ्रष्ट आज देश.....................................

भय यहाँ लाज है, जिन्द्गी का सार है,
इज्ज्तों का कौंडीयों के मोल अब व्यापार है,
प्रचन्ड हास्य वेग से ,वे बोलियाँ लगा रहे,
हर शख्स यहाँ देश को बेचने तैयार है,
माथे पे देश के लगा क्या गर्व का ये दाग है,
भ्रष्ट आज देश.....................................

शिक्षा से लेकर कर्म तक,हर क्षेत्र आज लुट गया,
ईमान कि लडाई में,हर ऐक आज बिक गया,
कोइ मर रहा कोइ लड रहा,कोइ आबरु बचा रहा,
इन सब के बीच पिस रहा,देश गिडगिडा रहा,
हर आँख मगर बन्द है, हर कान मे सुराख है,
भ्रष्ट आज देश.....................................


न्याय कि तलाश मे घुट गया गरीब है,
उठायेगा वो शस्त्र जब ,वो दिन भी अब करीब हैं,
बढ रहीं हैं दूरियाँ ,ये कैसा तालमेल है,
ऊच नीच से भरा ,ये क्या अजीब खेल है,
जुडेंगी कब ये टुकडियाँ,हुये जो लाख भाग है,
भ्रष्ट आज देश.....................................


दुख किसी का देखकर , नम किसि कि आँख है,
ठोकरों मे राह कि,बढा किसी का हाँथ है,
हर कोइ राह तक रहा, टक टकी लगाये है,
लूटने घसोटने को धाक सब जमाये हैं,
इन्सान तो बचा नहीं,हैवानियत राग है,
भ्रष्ट आज देश..................................... 

1 comment:

  1. Amazing and Very True Writing ...... Keep it up my dear Friend :)

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