Tuesday 1 October 2013

फैसला



क्या सही है, क्या गलत, मे आज क्यों तनाव है,
खुद के फैसलों पे लगा क्यों ये प्रश्न दाग है,
भाग रही जिन्दगी वक्त से भी तेज है,
उड रहे है पग मेरे, इन मे भी तो वेग है,
जरूर ऐसी दौड मे, खुशी भी है, विराग भी,
इस कशमकश से लड रहा दिल भी है दिमाग भी,
मुमकिन है मेरा हर सही, गलत हजार को लगे,
सच्चाईयों की बूँद भी, फरेब बन के जा गिरे,
जो भीड मे घिसट रहे, पिछड गये, निरर्थ है,
जिस चीज मे खुशी मेरी, वो बस उन्ही का दर्द है,
मेरे हर बढे कदम उन्हे कलंक से लगे,
हर लफ्ज मेरे हक भरे, उन्हे, उज्ड्ड से लगे,
क्यो ना जगू, मैं ना बढू, जो मुझमे भव्य तेज है,
मेरी जीत से किसी को, हो रहा क्या द्वेश है,
हुआ नही जो आज तक, वो आगे भी घटे नही,
धारक को ऐसी सोच के, ये जन्म शोभता नही,
आकर दिखाओं आग को, जो है बुलँद हौसला,
औरों के पैर खीच कर होता नही हर फैसला....

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