Thursday 6 August 2015

इज्ज़त के बदले यहाँ कौंणियाँ फेंकी जाती है,
इंसानियत आज पैसों मे तौली जाती है,
मिलावट की इंतहाँ पार हो गइ,
ये भारत है मेरे दोस्त,
यहाँ पैकिट मे भर के बिमारियाँ बेची जाती हैं,

किसी के शौक से छोटी है आदमी की जिंदगी,
सत्ता मे जनता पर बोली खेली जाती है,
रोटी दाल का धंधा हुआ पुराना अब,
आज किसी की ज़िन्दगी और मौत खरीदी जाती है,

विकास शब्द का यहाँ अलग ही मतलब है,
किसान की लाशो पे होली खेली जाती है,
हिन्दी,अंग्रेजी संस्क्रत सब मौन हो गइ,
बस पैसो की भाषा देश मे बोली जाती,

~आरोही




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